किसी चालक में से इलैक्ट्रोन्स या चार्जेस (charges) का प्रवाह विद्युत
करंट कहलाता है। प्रारम्भिक धारणा के अनुसार करंट का प्रवाह उच्च
पोटेन्शियल वाली वस्तु से निम्न पोटेन्शियल वाली वस्तु की ओर अर्थात्
पॉजिटिव से नेगेटिव की ओर माना जाता है।
करंट कहलाता है। प्रारम्भिक धारणा के अनुसार करंट का प्रवाह उच्च
पोटेन्शियल वाली वस्तु से निम्न पोटेन्शियल वाली वस्तु की ओर अर्थात्
पॉजिटिव से नेगेटिव की ओर माना जाता है।
आधुनिक खोजों के अनुसार इलैक्ट्रोन्स ही एक परमाणु से दूसरे परमाणु तक या चालक में एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक गति | कर सकते हैं। अतः इलैक्ट्रोन्स का प्रवाह, करंट कहलाता है। इलैक्ट्रोन्स का प्रवाह नेगेटिवली चार्जड वस्तु से पॉजिटिवली चार्जड वस्तु की ओर होता है
अतः इस नई धारणा को इलैक्ट्रोन्स का प्रवाह या इलेक्ट्रोनिक करंट (flow of electrons or electronic current) कहा जाता है। करंट का प्रतीक I तथा मात्रक एम्पीयर है। करंट मुख्यतः निम्न प्रकार की होती है --
1. डायरेक्ट करंट (Direct Current)- जिस करंट का मान और दिशा नियत
रहती है वह डायरेक्ट करंट या डी.सी. कहलाती है। बैट्री, जैनेरेटर आदि से
प्राप्त होने वाली करंट डी.सी. होती है।
रहती है वह डायरेक्ट करंट या डी.सी. कहलाती है। बैट्री, जैनेरेटर आदि से
प्राप्त होने वाली करंट डी.सी. होती है।
2. आल्टरनेटिंग करंट (Alternating Current) - जिस करंट का मान और
दिशा एक निश्चित दर के अनुसार परिवर्तित होती रहती है वह आल्टरनेटिंग
करंट या ए.सी. कहलाती है। आल्टरनेटर, ऑसिलेटर आदि से प्राप्त होने
वाली करंट ए.सी. होती है। पल्सेटिंग, ऑसिलेटरी तथा इन्ट्रप्टेड करंट ए.सी.
की अन्य किस्में हैं।
दिशा एक निश्चित दर के अनुसार परिवर्तित होती रहती है वह आल्टरनेटिंग
करंट या ए.सी. कहलाती है। आल्टरनेटर, ऑसिलेटर आदि से प्राप्त होने
वाली करंट ए.सी. होती है। पल्सेटिंग, ऑसिलेटरी तथा इन्ट्रप्टेड करंट ए.सी.
की अन्य किस्में हैं।
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